पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७०२

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कदरत-कन प्राचीन शिवालिपि और भम्न स्तन देखनेसे । सांप। इसका संस्थत पर्याय काट्वेय, बर वानु विदित होता- के १•म शताब्द यहां जैन प्रबल और कटुसुत है। हो गये थे। पहले यहां सदर थाना रहा, जो १८५३ कसुत (सं• पु.) कट्रोः सुतः, -तत्। सप, सांप । ई०को चिकमगलूर उठ गया। यह नगर पक्षा• १३. कटू (स• स्त्री.) कट्ठ-वड । कटुवमबल्वोच्छन्दसि। १ २३ उ• और देशा• ७१.२५° पू. पर प्रवखित है। । सर्पमाता, सांपोंको मा। कटूरत (अ. स्त्री०) वैमनस्य, पनवन, मैल, फक। कद्राच्च (सं• वि.) कस्मिवञ्चति, किम्-अच-क्षिप के कदूहि (सं० पु.) गोत्रप्रवर ऋषिविशेष। अद्यादेशः किमः कम । १ अनिश्चित देशको गमन कहावर (फा० वि०) प्रशस्त शरीरयुक्त, नसीम, करनेवाला, जो किसी नामालम मुल्क को जाता हो। जिसके बड़ा और भारी जिस्म रहे। . (को०)२ अनिश्चित देशको गमन, नामालम मुलगी कही (प. वि.) कह रखनेवाला, हठी, बो मनमानी | करता हो। कहव (सं.वि.) कपस्त्यस्य, क-मतप मस्यवः। कह (फा• पु.) १ कदू, लौको। २ लिङ्ग, घण्टा। कशब्दयुक्त, 'क' सफाज रखनेवाला। गंवार इस शब्दको शेषोत अर्थ में व्यवहार करते हैं। कहती (सं० स्त्री०) कहत्-डोए। कशब्दयुक्त मन्त्र प्रमति। कहकश (फा.पु.) यन्त्रविशेष, एक भौजार। कहद (सं.वि.) कुत्सितं वदति, कु-वढ़ पचायच इससे लौकीका लच्छा उतारा जाता है। यह लोहे | कोः कदादेशच। १ कुसित वक्ता, खराब बोलनेवाला, या पीतलका बनता और छोटो चौको-जैसा रहता जो ठीक कहता न हो। २ कर्कषभाषो, कड़ी बात है। कहकशमें लम्बे-लम्बे छिद्र होते हैं। इनको कहनेवाला। ३ दुःश्रवयष्दयुक्त, सुनने में अच्छा म एक पोर उठा और दूसरी भोर दबा देते हैं। इस | | लगनेवाला। ४ पति कुत्सित, निहायत खराब। यन्त्रपर लौकी रगड़नसे पतला-पतला लच्छा उतर कहर (स क्लो०) के जलमिव पाचरति, क-क्विप् शन पाता है। यह लच्छा रायता और मिठाई बनाने में कता वियते कत-वि-अप । १ दधिनेहयुक्त तक्र, पानी लगता है। मिला मट्ठा । २ दूधका पानी, पाब-थोर, पञ्छा, तोड़। कद्ददाना (फा० पु०) क्वमिभेद, एक कोड़ा। यह कधप्रिय (स.वि.). स्कन्धं प्रोणाति, प्री-लिए खेत एवं क्षुद्र रहता और उदरमें पड़ मलके साथ | | पृषोदरादित्वात्। स्कन्धप्रिय । गिरता है। | कधी (वै० वि०) कन्धं प्रोणाति, प्री-लिए पृषो- कद्रथ (सं• पु०) कुत्सितः रथः, कोः कदादेशः। दरादित्वात्। स्कन्धप्रिय । रथवदयोश्च । पा ।।१२। कुत्सितरथ, खराब गाड़ी। | कधी (हिं. क्रि. वि.) कभी, किसी वक्त । कर (सं० पु.) कदछ। १ पिङ्गलवर्ण, भूरा या कधी-कधार (हिं: क्रि• वि.) समय-समयपर, कभी- गेहवां रङ्ग। २ ऋषिविशेष। (वि.) पिङ्गलवर्ण- | कभी, जब-तब। विशिष्ट, गन्दुमी, भूरा। (स्त्री०) ४ नाममाता। कन (हिं• पु.) १ कण, जररा, बहुत छोटा टुकड़ा। यह दक्षको कन्या ए कश्यपको पनी यौं। ५ वृक्ष- २ पनाजका दाना । ३ अनाजके दानेका एक टुकड़ा। विशेष, एक पेड़।

४ उच्छिष्ट भोजन, जूठन। ५ भिक्षा, मांगा कुमा

कट्ठज, कटुपुत्र देखो। . .. दाना।। विन्दु, कसरा, बूंद। वालुकाका खुद्रांय, कद्रुष (सं• वि.) कदरस्त्यस्य, कंट्ठन । सोमादिपामादि बासका किनका। तुद्राहर, दाना-जैसो कोपन। विचारिभ्यः शनवचः । पा १.। पिपवर्षयुक्त, गन्दुमी, मणि, ताकत, होर। यौगिक शब्दाम 'कन से कर्षका बोध होता है, जैसे-वानफटा, कमटो, भूरा। बडपुत्र (सं.पु.) बद्रोः पुत्रः, तत्। नाम, सर्प, | बनगुन, कनसराई। . Vol. III. 176