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होता उसेअनिश्चयवाचक' सर्वनाम कहते हैं । अनिश्चयवाचक सर्वनाम दो हैं--काई, कुछ। “कोई" और "कुछ" में साधारण अंतर यह है कि "कोई" पुरुष के लिए और "कुछ" पदार्थ वा धर्म के लिए आता है।

१३२--कोई-( दोनों वचन ) ।
इसका प्रयेाग एकवचन मे बहुधा नीचे लिखे अर्थों में होता है---

(अ) किसी अज्ञात पुरुष या बड़े जतु के लिये, जैसे, ‘‘ऐसा न हो कि कोई आ जाय ।" ( सत्य० ) । “दरवाजे पर कोई खडा है ।" “नाली में कोई बोलता है ।"

(आ)बहुत से ज्ञात पुरुषों में से किसी अनिश्चित पुरुष के लिए, जैसे, "है रे । कोई यहाँ ?" ( शकु० ) । "रघुवशिन महँ जहँ कोऊ होई । तेहि समाज अस कहहि न कोई ।।"--(राम०) ।

(ई)निषेधवाचक वाक्य में “केई" का अर्थ “सब" होता है, जैसे, “बड़ा पद मिलने से कोई बडा नही होता । ( सत्य० )। तू किसी को मत सता ।"

( ई )“कोई” के साथ "सव” और “हर" ( विशेषण ) आते हैं। “सब कोई" का अर्थ “सब लोग" और "हर कोई" का अर्थ “हर आदमी होता है। उदा०–“सब कीउ कहता राम सुठि साधू ।" (राम० ) । “यह काम हर कोई नहीं कर सकता ।"

( उ )अधिक अनिश्चय में "कोई" के साथ "एक" जोड देते हैं, जैसे, “कोई एक यह बात कहता था ।"

( ऊ )किसी ज्ञात पुरुष को छोड दूसरे अज्ञात पुरुष का वोध कराने के लिए "कोई" के साथ "और" या "दुसरा"लगा देते हैं, जैसे, “यह भेद कोई और न जाने ।" “कोई दूसरा होता तो मैं उसे न छोड़ता ।"