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(ऐ)“कुछ कुछ" कभी कभी समुच्चय-बोधक के समान आकर दो वाक्यों को जोड़ते हैं; जैसे, “छापे की भूले कुछ प्रेस की असावधानी से और कुछ लेखकों के आलस से होती हैं ।" ( सर० )। “कुछ हम खुले, कुछ वह खुले ।"

(ओ)"कुछ कुछ" से कभी कभी "अयोग्यता" का अर्थ पाया जाता है; जैसे, "कुछ तुमने कमाया, कुछ तुम्हारा भाई कमावेगा ।"

१३४---जो-( दोनों वचन ) । हिंदी में संबंध-वाचक सर्वनाम एक ही है; इसलिए न्याय- शास्त्र के अनुसार इसका लक्षण नहीं बनाया जा सकता । भाषा- भास्कर को छोड़कर प्रायः सभी व्यकिरणों में संबंध-वाचक सर्वनाम का लक्षण नहीं दिया गया । भाषा-भास्कर में जो लक्षण है वह भी स्पष्ट नहीं है । लक्षण के अभाव में यहाँ इस सर्वनाम के केवल विशेष धर्म लिखे जाते हैं ।

(अ) “जो" के साथ "सो" वा "वह" का नित्य संबंध रहता है। "सो" वा “वह" निश्चयवाचक सर्वनाम है; परंतु संबंध- वाचक सर्वनाम के साथ आने पर इसे नित्य-संबंधी सर्वनाम कहते हैं । जिस वाक्य मे संबंध-वाचक सर्वनाम आता है उसका संबंध एक दूसरे वाक्य से रहता है जिसमें नित्य-संबंधी सर्वनाम आता है; जैसे, "जो वाले सो धी के जाय ।" (कहा॰) । “जो हरिश्चद्र ने किया वह तो अब कोई भी भारतवासी न करेगा ।"( सत्य०) ।

(आ)संबंध-वाचक और नित्य-संबंधी सर्वनाम एक ही सज्ञा के बदले आते हैं । जब इस संज्ञा का प्रयोग होता हैं तब यह ___________________________________________
"संबध-वाचक सर्वनाम उसे कहते हैं जो कही हुई संज्ञा में कुछ वर्णन मिलता है ।" ( भा० भा०) ।