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अकेले आते हैं, तब सर्वनाम होते हैं और जब इनके साथ संज्ञा आती है तब ये विशेषण होते हैं; जैसे “नौकर आया है ; वह वाहर खड़ा है ।" इस वाक्य में 'वह' सर्वनाम है; क्योकि वह "नौकर" सज्ञा के बदले आया है। "वह नौकर नहीं आया"-- यहाँ “वह" विशेषण है; क्योकि “वह नौकर” सज्ञा की व्याप्ति मर्यादित करता है; अर्थात् उसका निश्चय बताता है। इसी तरह “किसीको बुलाओ"और “किसी ब्राह्मण को बुलायो"---इन वाक्यो में "किसी" क्रमशः सर्वनाम और विशेषण है ।

१४९-पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनाम ( मैं, तू, आप ) संज्ञा के साथ आकर उसकी व्याप्ति मर्यादित नहीं करते, जैसे, "में मोहनलाल इकरार करता हूँ ।" इस वाक्य में 'मैं' शब्द विशेषण के समान "मोहनलाल" संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित नहीं करता, किंतु यहाँ मोहनलाल शव्द “मैं” के अर्थ को स्पष्ट करने के लिये आया है। कोई कोई यहाँ "मैं" को विशेषण कहेगे; परंतु यहाँ मुख्य विधान 'मैं' के विषय में है और क्रिया भी उसीके अनुसार है । जो विशेषण विशेष्य के साथ आता है उस विशेषण के विषय में विधान नही किया जा सकता है इसलिए यहाँ "मैं" और "मोहनलाल" समानाधिकरण शब्द हैं; विशेषण और विशेष्य नहीं हैं। इसी तरह "लडका आप आया था"—इस वाक्य में "आप" शब्द विशेषण नहीं है; किंतु “लड़का" संज्ञा का समा-नाधिकरण शब्द है ।

१५०-सार्वनामिक विशेषण व्युत्पत्ति के अनुसार दो प्रकार के होते हैं---

( १ ) मूल सर्वनाम, जो बिना किसी रूपांतर के संज्ञा के साथ आते हैं; जैसे, यह घर, वह लड़का, कोई नौकर, कुछ काम, इत्यादि । ( अं०-११४ ) ।