पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/१४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(११९)


( २ ) यौगिक सर्वनाम (अं०-१४१), जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं और सझा के साथ आते हैं, जैसे-ऐसा आदमी, कैसा घर, उतना काम, जैसा देश वैसा भेष, इत्यादि ।

१५१—मूल सार्वनामिक बिशेषणों का अर्थ बहुधा सर्वनामों ही के समान होता है, परनु कहीं कहीं उनमें कुछ विशेषता पाई जाती है ।

( अ ) “वह" "एक" के साथ आकर अनिश्चय-वाचक होता है; जैसे, "वह एक मनिहारिन आ गई थी ।" ( सत्य० )। [ सूचना-गद्य में 'सो' का प्रयोग बहुधा विशेषण के समान नहीं होता । ]

( आ ) “कैन" और “कोई" प्राणी, पदार्थ वा धर्म के नाम के साथ आते हैं, जैसे, कौन मनुष्य ? कैन जानवर ? कौन कपड़ा ? कौन बात ? कोई मनुष्य ? कई जानवर ? कोई कपडा ? कोई बात ? इत्यादि ।

( इ ) आश्चर्य में "क्या" प्राणी, पदार्थ वा धर्म तीनों के नाम के साथ आता है, जैसे, “तुम भी क्यों आदमी हो !" यह क्या लकड़ी है ।" “क्या बात है !" इत्यादि ।

( ई ) प्रश्न में क्या बहुधा भाववाचक संज्ञाओं के साथ आता है, जैसे, क्या काम ? क्या नाम ? क्या देशा ? क्या सहा- यता ? क्या कारण ? इत्यादि ।

( उ ) “कुछ" सख्या, परिमाण और अनिश्चय का बोधक है। संख्या और परिमाण के प्रयोग आगे लिखे जायेंगे । अनिश्चय के अर्थ में "क्या" के समान “कुछ" वहुधा भाववाचक संज्ञाओं के साथ आता है, जैसे, कुछ बात, कुछ डर, कुछ विचार, कुछ उपाय, इत्यादि ।

१५२-यैगिक सार्वनामिक विशेषणों के साथ जब विशेष्य नहीं रहता तब उनका प्रयोग संज्ञायों के समान होता है; जैसे,