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"इतने में ऐसा हुआ;" जैसा करोगे वैसा पायोग;" “जैसे को तैसा मिले ।"

( अ ) “ऐसा" का प्रयेाग कभी कभी “यह" के समान वाक्य के बदले में होता है, जैसे, “ऐसा कब हो सकता है कि मुझे भी दोष लगे ।" ( गुटका० ) ।

( आ ) “ऐसा वैसा" तिरस्कार के अर्थ में आता है; जैसे, "मैं ऐसे वैसे का कुछ नहीं समझता ।" “राजा दिलीप कुछ ऐसा वैसा न था ।” ( रघु०)। “ऐसी वैसी कोई चीज़ नहीं खानी चाहिए ।"

१५३--(१) यौगिक संबंध-वाचक ( सार्वनामिक ) विशेषणों के साथ बहुधा उनके नित्य-संबंधी विशेषण आते हैं, जैसे, "जैसा देश वैसा भेष ।" “जितनी चादर देखो उतना पैर फैलाओ ।"

( अ ) कभी कभी किसी एक विशेषण के विशेष्य का लोप होता है; जैसे, “जितना मैंने दान दिया उतना तो कभी किसीके ध्यान में न आया होगा ।" (गुटका० )। “जैसी बात आप कहते हैं वैसी कोई न कहेगा ।" “हमारे ऐसे पदा-धिकारियों को शत्रु उतना संताप नहीं देते जितना दूसरों की सम्पत्ति और कीर्ति ।" ( सत्य० ) ।

( आ ) दोनों विशेषणों की द्विरुक्ति से उत्तरोत्तर घटती बढ़ती का बोध होता है, जैसे, जितना जितना नाम बढ़ता है। उतना उतना मान बढ़ता है ।" "जैसा जैसा काम करोगे वैसे वैसे दाम मिलेंगे ।"

( इ ) कभी कभी "जैसा" और “ऐसा" का उपयोग “समान" ( संबंध-सूचक ) के सदृश होता है; जैसे, "प्रवाह उन्हें तान्ताव का जैसा रूप दे देता है ।" ( सर० ) । “यह आप ऐसे महात्माओं का काम है ।" ( सत्य० )।