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अढ़ाई या ढाई = २।। ,२३ साढ़े तीन = ३॥, ३३

( अ ) एक से अधिक संख्याओं के साथ पाव और पौन सूचित करने के लिये पूर्णांक-बोधक शब्द के पहले क्रमशः “सवा"(सं० सपाद) और "पौने" ( सं० पदीन ) शब्दों का उप-योग किया जाता है; जैसे, "सवा दो" = २१; "पौने तीन)" =२;; इत्यादि ।

( आ ) तीन और उससे ऊपर की संख्याओं में आधे की अधिकता सूचित करने के लिये "साढे" (सं०-सार्ध) का उपयोग होता है; जैसे, ‘साढे चार" = ४३; "साढ़े दस" = १०३; इत्यादि।

[ सूचना--"पौने" और "साढे" शब्द कभी अकेले नहीं आते । “सवा अकेला ११ के लिए आता है ।]

१७६---सौ, हजार, लाख, इत्यादि संख्या में भी अपूर्णांक- बोधक शब्द जोड़े जाते हैं, जैसे, "सवा सौ" = १२५; ढाई सौ= २५०; “साढे तीन हजार" = ३५००; “पौने पाँच लाख) = ४७५०००; इत्यादि ।

१७७-अपूर्णांक-बोधक शब्द माप-तौल-वाचक संज्ञाओं के साथ भी आते हैं; जैसे, "सवा सेर," "डेढ़ गज," “पौने तीन कोस," इत्यादि ।

१७८-कभी कभी अपूर्णांक-बोधक संज्ञा आना के हिसाब से भी सूचित की जाती है; जैसे, "इम साल चौदह आने फसल हुई है ।" "इस व्यापार में मेरा चार आने हिस्सा हैं ।" इत्यादि ।

१७९--गणनावाचक विशेषणों के प्रयोग में नीचे निरवीं विशेष- ताएँ हैं-

( अ ) पूर्णांक-बोधक विशेषण के साथ एक लगाने से "लगभग" का अर्थ पाया जाता है, जैसे, “दस एक आदमी," "चालीस एक गायें," इत्यादि ।