पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/१५४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(१३३)

(२) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण ।

१८४---जिस संख्या-वाचक विशेषण से किसी निश्चित संख्या का बोध नहीं होता उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं; जैसे, एक, दूसरा, ( अन्य, और ) सब ( सर्व, सकल, समस्त, कुल ) बहुत ( अनेक, कई, नाना ) अधिक (ज्यादा )कम, कुछ,आदि, ( इत्यादि, वगैरह ), अमुक, ( फलाना ), कै ।

अनिश्चित संख्या के अर्थ में इनका प्रयोग बहुवचन में होता है। और और विशेषणों के समान ये विशेषण भी सज्ञा के समान उपयोग में आते हैं, और इनमें से कोई कोई परिमाण-बोधक विशेषण भी होते हैं ।

( १ ) “एक" पूर्णाक बोधक विशेषण है; परंतु इसका प्रयोग बहुधा अनिश्चय के लिए होता है।

( अ ) ‘एक" से कभी कभी “कोई" का अर्थ पाया जाता है; जैसे,“एक दिन ऐसा हुआ ।" “हमने एक बात सुनी है।"

(आ) जब "एक" ( विशेष्य के बिना ) संज्ञा के समान आता है। तब उसका प्रयोग कभी कभी बहुवचन के अर्थ में होता है; और दूसरे वाक्य में उसकी द्विरुक्ति भी होती है; जैसे,“इक प्रविशहिँ इक निर्गमहिँ ।” (राभ०) । “एक रोता है। और एक हँसता है।"

( इ ) “एक" कभी कभी ‘केवल' के अर्थ में क्रिया-विशेषण होता है; जैसे, "एक अधा सेर अटा चाहिए"। “एक तुम्हारे ही दुख से हम दुखी हैं ।"

( ई ) “एक" के साथ “सा" प्रत्यय लगाने से "समान" का अर्थ पाया जाता है, जैसे, "दोनों का रूप एकसा है।"

(उ) अनिश्चय के अर्थ में "एक" कुछ सर्वनामों और विशेषणों में जोड़ा जाता है; जैसे, कोई एक, कुछ एक, दस एक, कई एक, कितने एक, इत्यादि ।