पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/१५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(१३७)


मेरी दैवी और मानुषी अदि सभी आपत्तियों के नाश करनेवाले हैं ।” ( रघु० ) । “विद्यानुरागिता, उपकारप्रियता, आदि गुण जिसमें सहज हो ।” (सत्य०)। "इस युक्ति से उसको टोपी, रूमाल, घड़ी, छड़ी, अदि का बहुधा फायदा हो जाता था ।" ( परी॰) । "आदि" के पर्याय-वाचक “इत्यादि" और वगैरह" हैं । “वगैरह" उर्दू (अरबी) शब्द है, हिंदी में इसका प्रयोग कचित होता है। "इत्यादि" का प्रयोग बहुधा किसी विषय के कुछ उदाहरणों के पश्चात् होता है, जैसे, “खबरदार इत्यादि कहता हुआ ।" (सत्य०)। "दीपन इत्यादि दोहा पढता है ।" (रत्ना०)। "क्या हुआ, क्या देखा, इत्यादि ।" (भाषा-सार०)। पठन, मनन, घोषणा, इत्यादि सब शब्द यही गवाही देते हैं ।"(इति०)।

[ सूचना- "आदि", ‘इत्यादि" और "वगैरह" शब्दों का उपयोग बार बार करने से लेखक की असावधानी और अर्थ का अनिश्चय सूचित होता है। एक उदाहरण के पश्चात् आदि, और एक से अधिक के बाद इत्यादि लाना चाहिए, जैसे, घर आदि की व्यवस्था, कपड़े, भोजन, इम्यादि का प्रबंध।

(९) “अमुक" का प्रयेाग “कोई एक" (अं०-१३२-उ) के अर्थ में होता है, जैसे, “आदमी यह नहीं कहते कि अमुक बात, अमुक राय या अमुक सम्मति निर्दोष है ।" (स्वा०) । “अमुक" का पर्यायवाची ‘फलाना" ( उर्दू-फलाँ) है ।

(१०) "कै" का अर्थ प्रश्नवाचक विशेषण “कितने" के समान है। इसका प्रयोग सज्ञा की नाई कचित् होता है, जैसे, “कै लड़के", "कै आम", इत्यादि ।

(३) परिमाण बोधक विशेषण ।

१८५----परिमाण-बोधक विशेषणों से किसी वस्तु की नाप या तौल का बोध होता है, जैसे, और, सब, सारा, समूचा,अधिक