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व्याकरण-संशोधन-समिति की सम्मति ।

   श्रीयुत मंत्री,
         नागरीप्रचारिणी सभा,
                  
                           काशी ।

महाशय,

  सभा के निश्चय के अनुसार व्याकरण-सशोधन-समिति का

कार्य वृहस्पतिवार आश्विन शुक्ल ३ संवत् १८७७ ( ता० १४ अक्टू-वर १८२० ) को सभा-भवन में यथासमय प्रारंभ हुआ। हम लोगो ने व्याकरण के मुख्य-मुख्य सभी अंगों पर विचार किया । हमारी सम्मति है कि सभा ने जो व्याकरण विचार केलिए छपवाकर प्रस्तुत किया है वह आज तक प्रकाशित व्याकरणों से सभी बातो में उत्तम हैं। वह बडे विस्तार से लिखा गया है। प्रायः कोई अंश छूटने नहीं पाया। इसमें संदेह नहीं कि व्याकरण बड़ी गवे-पणा से लिखा गया है। हम इस व्याकरण के प्रकाशन-योग्य समझते हैं और अपने सहयोगी पंडित कामताप्रसादजी गुरु को साधुवाद देते हैं। उन्होंने ऐसे अच्छे व्याकरण का प्रणयन करके हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण अंश की पूर्ति कर दी । , ,

   जहाँ-जहाँ परिवर्तन करना आवश्यक है उसके विषय में हम

लोगों ने सिद्धांत स्थिर कर दिये हैं। उनके अनुसार सुधार करके पुस्तक छपवाने का भार निम्न-लिखित महाशयो की दिया गया है- ( १ ) पंडित कामताप्रसाद गुरु,

     असिस्टेंट मास्टर, माडल हाई स्कूल, जबलपुर ।