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एक हाथ जगह = हाथ-भर जगह।

(ऊ) कोई कोई परिमाणबोधक विशेषण एक दूसरे से मिलकर आते हैं; जैसे,
"बहुत-सारा काम", "बहुत-कुछ आशा"
"थोड़ा-बहुत लाभ," "कम-ज्यादा आमदनी"।
(ऋ) "बहुत", "थोड़ा", "जरा", "अधिक" (ज्यादा) के साथ निश्चय के अर्थ में "सा" प्रत्यय जोड़ा जाता है, जैसे, "बहुतसा लाभ", "थोड़ीसी विद्या", "जरासी बात", "अधिकसा बल"। इत्यादि।
(ए) कोई कोई परिमाणवाचक विशेषण क्रियाविशेषण भी होते हैं, जैसे, "नल ने दमयंती को बहुत समझाया।" (गुटका॰)। "यह बात तो कुछ ऐसी बड़ी न थी।" (शकु॰)। "जिनको और सारे पदार्थों की अपेक्षा यश ही अधिक प्यारा है।" (रघु॰)। "लकीर और सीधी करो।" "यह सोना थोड़ा खोटा है।" "थोड़े" का अर्थ प्रायः नहीं के बराबर होता है; जैसे, "हम लड़ते थोड़े हैं।"

संख्या-वाचक विशेषणों की व्युत्पत्ति।

१८६—हिंदी के सब संख्यावाचक विशेषण प्राकृत के द्वारा संस्कृत से निकले हैं; जैसे,

सं॰ प्रा॰ हि॰
एक एक्क एक
द्वि दुवे दो
त्रि तिण्णि तीन
चतुर् चत्तारि चार
पञ्चम् पञ्च पांच
षट् छ:
सप्तम् सत्त सात

सं॰ प्रा॰ हि॰
विंशति बीसई बीस
त्रिंशत् तीसआ तीस
चत्वारिंशत् चत्तालीसा चालीस
पञ्चाशत् पण्णासा पचास
षष्टि सट्ठि साठ
सप्तति सत्तरी सत्तर
अशीति आसीई अस्सी