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संख्यावाचक
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
निश्चित संख्या-वा॰अनिश्चित संख्या-वा॰
(६)
परिमाण-बो॰
(७)
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
गणना-वा॰
(१)
क्रम-वा॰
(२)
आवृत्ति-वा॰
(३)
समुदाय वा॰
(४)
प्रत्येक-बो॰
(५)
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
पूर्णांक बो॰अपूर्णांक-बो॰

यह वर्गीकरण भी बिल्कुल निर्दोष नहीं है, परंतु इसमें प्राय सभी संख्या-वाचक विशेषण आ गये हैं, और रूप तथा अर्थ में एक वर्ग दूसरे से बहुधा भिन्न है।

 


चौथा अध्याय।
क्रिया।

१८७—जिस विकारी शब्द के प्रयोग से हम किसी वस्तु के विषय में कुछ विधान करते हैं उसे क्रिया कहते हैं, जैसे, "हरिण भागा" "राजा नगर में आये" "मैं जाऊँगा," "घास हरी होती है"। पहले वाक्य में हरिण के विषय में "भागा" शब्द के द्वारा विधान किया गया है, इसलिए "भागा" शब्द क्रिया है। इसी प्रकार दूसरे वाक्य में "आये", तीसरे वाक्य में "जाऊँगा" और चौथे वाक्य में "होती है" शब्द से विधान किया गया है, इसलिए "आये" "जाऊँगा" और "होती है" शब्द क्रिया हैं।

१८८—जिस मूल शब्द में विकार होने से क्रिया बनती है उसे धातु कहते हैं, जैसे, "भागा" क्रिया में "आ" प्रत्यय है जो "भाग" मूल शब्द में लगा है; इसलिए "भागा" क्रिया का धातु "भाग" है। इसी तरह "आर्य" क्रिया का धातु "आ", "जाऊँगा"