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गिर-ना गिरा-ना गिरवा-ना
चल-ना चला-ना चलवा-ना
पढ़-ना पढ़ा-ना पढ़वा-ना
फैल-ना फैला-ना फैलवा-ना
सुन-ना सुना-ना सुनवा-ना
(अ) दो अक्षरो के धातु मे 'ऐ' वा 'औ' को छोड़कर आदि का अन्य दीर्घ स्वर ह्रस्व हो जाता है; जैसे,
मू॰ धा॰ प॰ प्रे॰ दू॰ प्रे॰
ओढ़ना उढ़ाना उढ़वाना
जागना जगाना जगवाना
ओढ़ना उढ़ाना उढ़वाना
जीतना जिताना जितवाना
डूबना डुबाना डुबवाना
बोलना बुलाना बुलवाना
भीगना भिगोना भिगवाना
भूलना भुलाना भुलवाना
लेटना लिटाना लिटवाना

(१) "डूबना" का रूप "डुबोना" और "भीगना" का रूप "भिगोना" भी होता है।

(२) प्रेरणार्थक रूपों में बोलना का अर्थ बदल जाता है।

(आ) तीन अक्षर के धातु में पहले प्रेरणार्थक के दूसरे अक्षर का "अ" अनुच्चरित रहता है; जैसे,
मू॰ धा॰ प॰ प्रे॰ दू॰ प्रे॰
चमक-ना चमका-ना चमकवा-ना
पिघल-ना पिघला-ना पिघलवा-ना
बदल-ना बदला-न बदलवा-ना
समझ-ना समझा-ना समझना-ना