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दूसरा खंड।

अव्यय।

पहला अध्याय।

क्रिया-विशेषण।

२११—जिस अव्यय से क्रिया की कोई विशेषता जानी जाती है उसे क्रिया-विशेषण कहते हैं, जैसे, यहाँ, वहाँ, जल्दी, धीरे, अभी, बहुत, कम, इत्यादि।

[सूचना-"विशेषता" शब्द से स्थान, काल, रीति और परिमाण का अभिप्राय है।]

(१) क्रिया-विशेषण को अव्यय (अविकारी) कहने में दो शंकाएँ हो सकती हैं—(क) कुछ विभक्त्यंत शब्दों का प्रयोग क्रिया-विशेषण के समान होता है; जैसे, "अंत में", "इतने पर", "ध्यान से", "रात को" इत्यादि। (ख) कई एक क्रिया-विशेषणों में विभक्तियों के द्वारा रूपांतर होता है, जैसे, "यहाँ का", "कब से", "आगे को", "किधर से" इत्यादि।

इनमें से पहली शंका का उत्तर यह है कि यदि कुछ विभक्त्यंत शब्दों का प्रयोग क्रिया-विशेषण के समान होता है तो इससे यह बात सिद्ध नहीं होती कि क्रिया-विशेषण अव्यय नहीं होते। फिर इन विभक्त्यंत शब्दों के आगे कोई दूसरा विकार भी नहीं होता, इससे इनको भी अव्यय मानने में कोई बाधा नहीं है। संस्कृत में भी कुछ विभक्त्यंत शब्द (जैसे, सत्यम, सुखेन, बलात्) क्रिया-विशेपण के समान उपयोग में आते हैं और अव्यय माने जाते हैं। हिंदी में भी कई एक शब्द (जैसे, आगे, पीछे,