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२१५—जो क्रिया-विशेषण किसी दूसरे शब्द से नहीं बनते वे मूल क्रिया-विशेषण कहलाते हैं, जैसे, ठीक, दूर, अचानक, फिर, नहीं, इत्यादि।

२१६—जो क्रिया-विशेषण दूसरे शब्दों में प्रत्यय वा शब्द जोड़ने से बनते हैं उन्हें यौगिक क्रिया-विशेषण कहते हैं। वे नीचे लिखे शब्द-भेदो से बनते हैं—

(अ) संज्ञा से, जैसे, सबेर, मन से, क्रमशः , आगे, रात को, प्रेम-पूर्वक, दिन-भर, रात-तक, इत्यादि।
(आ) सर्वनाम से; जैसे, यहाँ, वहाँ, अब, जब, जिससे, इसलिए, तिस पर, इत्यादि।
(इ) विशेषण से , जैसे, धीरे, चुपके, भूले से, इतने में, सहज में, पहले, दूसरे, ऐसे, वैसे, इत्यादि।
(ई) धातु से, जैसे, आते, करते, देखते हुए, चाहे, लिये, मानो बैठे हुए, इत्यादि।
(उ) अव्यय से, जैसे, यहाँ तक, कब का, ऊपर को, झट से, वहाँ पर, इत्यादि।
(ऊ) क्रिया-विशेषणों के साथ निश्चय जनाने के लिये बहुधा ई वा ही लगाते हैं, जैसे, अब-अभी, यहाँ यहीँ, आते-आतेही, पहले-पहलेही, इत्यादि।

२१७—संयुक्त क्रिया-विशेषण नीचे लिखे शब्दों के मेल से बनते हैं—

(अ) संज्ञाओं की द्विरुक्ति से, घर-घर, घड़ी-घड़ी, बीचों-बीच, हाथों-हाथ, इत्यादि।
(आ) दो भिन्न भिन्न संज्ञाओ के मेल से, जैसे, रात दिन, सांझ-सवेरे, घर-बाहर, देश-विदेश, इत्यादि।
(इ) विशेषणों की द्विरुक्ति से, जैसे, एका-एक, ठीक-ठीक, साफ-साफ, इत्यादि।