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(इ) विशेषण—"स्त्री सुंदर सीती है।" "मनुष्य उदास बैठा है।" "लड़का कैसा कूदा।" "सब लेग सोये पड़े थे।" "चोर पकड़ा हुआ आया।" "हमने इतना पुकारा।" (सत्य॰)। इत्यादि।
(ई) पूर्वकालिक कृदंत—"तुम दौड़कर चलते हो।" "लड़का उठकर भागा।" इत्यादि।

२१९—हिंदी में कई एक संस्कृत और कुछ उर्दू क्रियाविशेषण भी आते हैं। ये शब्द तत्सम और तद्भव दोन प्रकार के होते हैं।

(१) संस्कृत क्रियाविशेषण।

तत्सम—अकस्मात्, ईषत्, पश्चात्, प्रायः, बहुधा, पुनः, अतः, अस्तु, वृथा, व्यर्थ, वस्तुतः, सम्प्रति, कदाचित्, शनैः शनैः, अन्यत्र, सर्वत्र, इत्यादि।

तद्भव—आज (सं॰—अद्य), कल (स॰—कल्य), परसों (सं॰—परश्व), बारबार (स॰—बारंबार), आगे (स॰—अग्रे), साथ (सं॰—सार्धम्), सामने (स॰—सम्मुखम्), सतत (स॰—सततम्), इत्यादि।

(२) उर्दू क्रियाविशेषण।

तत्सम—शायद, जरूर, बिलकुल, अकसर, फौरन, वाला-वाला, इत्यादि।

तद्भव—हमेशा (फा॰—हमेशह), सही (अ॰—सहीह), नगीच (फा॰—नज़दीक), जल्दी (फ़ा॰—जल्द), खूब (फ़ा॰—खूब), आखिर (अ॰—आखिर) इत्यादि।

२२०—अर्थ के अनुसार क्रियाविशेषणों के नीचे लिखे चार भेद होते हैं—

(१) स्थानवाचक, (२) कालवाचक, (३) परिमाणवाचक और (४) रीतिवाचक।

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