पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/१८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(१६२)

२२१—स्थानवाचक क्रियाविशेषण के दो भेद हैं—(१) स्थितिवाचक और (२) दिशावाचक।

(१) स्थितिवाचक—

यहाँ, वहाँ, जहाँ, कहाँ, तहाँ, आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, तले, सामने, साथ, बाहर, भीतर, पास (निकट, समीप), सर्वत्र, अन्यत्र, इत्यादि।

(२) दिशावाचक—इधर, उधर, किधर, जिधर, तिधर, दूर, परे, अलग, दाहिने, बाएँ, आरपार, इस तरफ, उस जगह, चारों ओर, इत्यादि।

२२२—कालवाचक क्रियाविशेषण तीन प्रकार के होते हैं— (१) समयवाचक, (२) अवधिवाचक, (३) पौनःपुन्यवाचक।

(१) समयवाचक—

आज, कल, परसों, तरसों, नरसों, अब, जब, कब, तब, अभी, कभी, जभी, तभी, फिर, तुरंत, सबरे, पहले, पीछे, प्रथम, निदान, आखिर, इतने में, इत्यादि।

(२) अवधिवाचक—

आजकल, नित्य, सदा, सतत (कविता में), निरंतर, अबतक, कभी कभी, कभी न कभी, अब भी, लगातार, दिन भर, कब का, इतनी देर, इत्यादि।

(३) पौनःपुन्यवाचक—

बार-बार (बारंबार), बहुधा (अकसर), प्रतिदिन (हररोज़), घड़ी-घड़ी, कई बार, पहले—फिर, एक—दूसरे—तीसरे—इत्यादि, हरबार, हरदफे, इत्यादि।

२२३—परिमाणवाचक क्रियाविशेषणों से अनिश्चित संख्या वा परिमाण का बोध होता है। उनमें ये भेद हैं—

(अ) अधिकताबोधक—बहुत, अति, बड़ा, भारी, बहुतायत से,