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बिलकुल, सर्वथा, निरा, खूब, पूर्णतया, निपट, अत्यंत, अतिशय, इत्यादि।

(आ) न्यूनताबोधक—कुछ, लगभग, थोड़ा, टुक, अनुमान, प्रायः, ज़रा, किंचित्, इत्यादि।
(इ) पर्याप्तिवाचक—केवल, बस, काफ़ी, यथेष्ट, चाहे, बराबर, ठीक, अस्तु, इति, इत्यादि।
(ई) तुलना-वाचक—अधिक, कम, इतना, उतना, जितना, कितना, बढ़कर, और, इत्यादि।
(उ) श्रेणीवाचक—थोड़ा-थोड़ा, क्रम-क्रम से, बारी-बारी से, तिल-तिल, एक-एक करके, यथाक्रम, इत्यादि।

२२४—रीतिवाचक क्रियाविशेषणों की संख्या गुणवाचक विशेषणों के समान अनंत है। क्रियाविशेषण के न्यायसम्मत वर्गीकरण में कठिनाई होने के कारण, इस वर्ग में उन सब क्रिया-विशेषणों का समावेश किया जाता है जिनका अंतर्भाव पहले कहे हुए वर्गों में नहीं हुआ है। रीतिवाचक क्रियाविशेषण नीचे लिखे हुए अर्थों में आते हैं—

(अ) प्रकार—ऐसे, वैसे, कैसे, जैसे-तैसे, मानों, यथा-तथा, धीरे, अचानक, सहसा, अनायास, वृथा, सहज, साक्षान्, सेत, सेतमेंत, योंही, हौले, पैदल, जैसे-तैसे, स्वयं, परस्पर, आपही आप एक-साथ, एकाएक, मन से, ध्यानपूर्वक, सदेह, सुखेन, रीत्यनुसार, क्योंकर, यथाशक्ति, हँसकर, फटाफट, तड़तड़, फटसे, उलटा, येन-केन-प्रकारेण, अकस्मात्, किम्वहुना, प्रत्युत।
(आ) निश्चय—अवश्य, सही, सचमुच, निःसंदेह, बेशक, जरूर, अलबत्ता, मुख्य-करके, विशेष-करके, यथार्थ में, वस्तुतः, दरअसल।