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यावत्—यावज्जीवन।

आ—आजन्म, आमरण।

सम्—समक्ष, सम्मुख।

स—सदेह, सपरिवार।

अ, अन्—अकारण, अनायास।

वि—व्यर्थ, विशेष।

(२) हिंदी अव्ययीभाव समास

अन—अनजाने, अनपूछे।

नि—निधड़क, निडर।

(३) उर्दू अव्ययीभाव समास।

हर—हररोज़, हरसाल, हरवक्त।

दर—दरअसल, दरहक़ीकत।

ब—बजिस, बदस्तूर।

बे—बेकार, बेफ़ायदा, बेशक, बेतरह, बेहद।

(४) मिश्रित अव्ययीभाव समास।

हर—हरघड़ी, हरदिन, हरजगह।

बे—बेकाम, बेसुर।

२२७—कुछ क्रियाविशेषणों के विशेष अर्थों और प्रयोगों के उदाहरण नीचे दिये जाते हैं—

परसों, कल—इनका प्रयोग भूत और भविष्य दोनों कालों में होता है। इसकी पहचान क्रिया के रूप से होती है; जैसे, "लड़का कल आया और परसों जायगा।"

आगे, पीछे, पास, दूर—और इनके समानार्थी स्थानवाचक क्रियाविशेषण कालवाचक भी हैं; जैसे "आगे राम अनुज पुनि पाछे।" (राम॰)। (स्था॰ वा॰)। "आगे पीछे सब चल बसेंगे।" (कहा॰)। (का॰ वा॰)। "गाँव पास है या दूर?"