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रूप के अनुसार क्रियाविशेषणों का वर्गीकरण करने की आवश्यकता इसलिए है कि हिंदी में यौगिक क्रियाविशेषणों की संख्या अधिक है जो बहुधा संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण वा क्रियाविशेषणो के अंत में विभक्तियों के लगाने से बनते हैं; जैसे, इतने में, सहज में, मन से, रात को, यहाँ पर, जिसमें, इत्यादि। यहाँ अब यह प्रश्न हो सकता है कि घर में, जंगल से, कितने में, पेड़ पर, आदि विभवत्यंत शब्दों को भी क्रियाविशेषण क्यों न कहें? इस का उत्तर यह है कि यदि क्रियाविशेषण में विभक्ति का योग होने से उसके प्रयोग में कुछ अंतर नहीं पड़ता तो उसे क्रियाविशेषण मानने में कोई बाधा नहीं है। उदाहरणार्थ, "यहाँ" क्रियाविशेषण है, और विभक्ति के योग से इसका रूप "यहाँ से" अथवा "यहाँ पर" होता है। ये दोनों विभक्त्यंत क्रियाविशेषण किसी भी क्रिया की विशेषता बताते है, इसलिए इन्हें क्रियाविशेषण ही मानना उचित है। इनमें विभक्ति का योग होने पर भी इनका प्रयोग कर्त्ता या कर्म-कारक में नहीं होता जिसके कारण इनकी गणना संज्ञा वा सर्वनाम में नहीं हो सकती। यौगिक क्रियाविशेषण दूसरे शब्दों में प्रत्यय लगाने से बनते है, जैसे, ध्यानपूर्वक, क्रमशः, नाम मात्र, संक्षेपतः, इसलिए जिन विभक्तियों से इन प्रत्ययों का अर्थ पाया जाता है उन्हीं विभक्तियों के योग से बने हुए शब्दों को क्रियाविशेषण मानना चाहिये, और को नहीं, जैसे ध्यान से, क्रम से, नाम के लिए, संक्षेप में, इत्यादि। फिर कई एक विभक्त्यंत शब्द क्रियाविशेषणों के पर्यायवाचक भी होते है जैसे, निदान-अंत में, क्यों=काहे को, काहे से, कैसे=किस रीति से, सबेरे-भोर को, इत्यादि। इस प्रकार के विभक्त्यंत शब्द भी क्रियाविशेषण माने जा सकते हैं। इन विभक्त्यंत शब्दों को क्रियाविशेषण न कहकर कारक कहने में भी कोई हानि नहीं है। पर "जंगल में" पद को केवल वाक्य-पृथक्करण की दृष्टि से, क्रियाविशेषण के समान, विधेय-वर्द्धक कह सकते हैं; परंतु व्याकरण की दृष्टि से वह क्रियाविशेषण नहीं है, क्योंकि वह किसी मूल क्रियाविशेषण का अर्थ सूचित नहीं करता। विभक्त्यंत वा संबंधसूचकांत शब्दों को कोई कोई वैयाकरण क्रियाविशेषण-वाक्यांश कहते हैं।

हिंदी में कई एक संस्कृत और कुछ उर्दू विभक्त्यंत शब्द भी क्रियाविशेषण के समान प्रयोग में आते हैं, जैसे, सुखेन, कृपया, विशेषतया, हठात्, फौरन, इत्यादि। इन शब्दों को क्रियाविशेषण ही मानना चाहिये, क्योंकि इनकी विभक्तियाँ हिंदी में अपरिचित होने के कारण हिंदी व्याकरण से इन शब्दों की व्युत्पत्ति