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(१८३)

विरोधवाचक।

विरुद्ध, खिलाफ, उलटा, विपरीत।

सहचारवाचक।

संग, साथ, समेत, सहित, पूर्वक, अधीन, स्वाधीन, वश।

संग्रहवाचक।

तक, लौं, पर्यंत, सुद्धा, भर, मात्र।

तुलनावाचक।

अपेक्षा, बनिस्बत, आगे, सामने।

[सू॰—ऊपर की सूची में जिन शब्दों को कालवाचक संबंधसूचक लिखा है वे किसी किसी प्रसंग में स्थानवाचक अथवा दिशावाचक भी होते हैं। इसी प्रकार और भी कई एक संबंधसूचक अर्थ के अनुसार एक से अधिक वर्गों में आ सकते हैं।]

२३९—व्युत्पत्ति के अनुसार संबंधसूचक दो प्रकार के हैं—(१) मूल और (२) यौगिक।

हिदी में मूल संबंधसूचक बहुत कम हैं, जैसे, बिना, पर्यंत, नाईं, पूर्वक, इत्यादि।

यौगिक संबंधसूचक दूसरे शब्द-भेदों से बने हैं, जैसे,

(१) संज्ञा से—पलटे, वास्ते, और, अपेक्षा, नाम, लेखे, विषय, मारफत, इत्यादि।

(२) विशेषण से—तुल्य, समान, उलटा, जबानी, सरीखा, योग्य, जैसा, ऐसा, इत्यादि।

(३) क्रियाविशेषण से—ऊपर, भीतर, यहाँ, बाहर, पास, परे, पीछे, इत्यादि।

(४) क्रिया से—लिये, मारे, करके, जान।

[सू॰—अव्यय के रूप में "लिये" को बहुधा "लिए" लिखते हैं।]

२४०—हिंदी में कई एक संबंधसूचक उर्दू भाषा से और