किसी किसी के पर्यायवाची शब्दों के पूर्व जब "से" विभक्ति आती तब इनसे तुलना का बोध होता है; जैसे, कछुवा खरहे से आगे निकल गया। गाड़ी समय से पहले आई। वह जाति में मुझसे नीचे हैं।
आगे—यह संबंधसूचक नीचे लिखे अर्थों में भी आता है—
[सूचना—प्रायः इन्हीं अर्थों में "सामने" का प्रयोग होता है। कोई कोई लोग इसे "साम्हने" लिखते हैं।]
पीछे—इससे प्रत्येकता का भी बोध होता है, जैसे, थान पीछे एक रुपया मिला।
ऊपर, नीचे—इनसे पद की छुटाई-बड़ाई भी सूचित होती है, जैसे, सबके ऊपर एक सरदार रहता है और उसके नीचे कई जमादार काम करते हैं।
निकट—इसका प्रयोग विचार के अर्थ में भी होता है, जैसे, उसके निकट भूत और भविष्यत दोनों वर्तमान से हैं। (गुटका॰)।
पास—इससे अधिकार भी सूचित होता है, जैसे, मेरे पास एक घड़ी है।
यहाँ—दिल्लीवाले बहुधा इसे "हाँ" लिखते हैं, जैसे, "तुम्हारे हाँ कुछ रकम जमा की गई है।" (परी॰)। राजा शिवप्रसाद इसे "यहाँ" लिखते हैं; जैसे, "और भी हिंदुओं को अपने यहाँ बुलाता है।" (इति॰)। "परीक्षा-गुरु" में भी कई जगह "यहाँ"