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तीसरा अध्याय।

समुच्चय-बोधक।

२४२—जो अव्यय (क्रिया की विशेषता न बतलाकर) एक वाक्य का संबंध दूसरे वाक्य से मिलाता है उसे समुच्चय-बोधक कहते हैं, जैसे, और, यदि, तो, क्योकि, इसलिए।

"हवा चली और पानी गिरा"—यहाँ "और" समुच्चय-बोधक है, क्योंकि वह पूर्व वाक्य को संबंध उत्तर वाक्य से मिलाता है। कभी कभी समुच्चय-बोधक से जोड़े जानेवाले वाक्य पूर्णतया स्पष्ट नही रहते; जैसे "कृष्ण और बलराम गये।" इस प्रकार के वाक्य देखने में एकही से जान पड़ते हैं, परतु दोनों वाक्यों में क्रिया एक ही होने के कारण संक्षेप के लिए उसका प्रयोग केवल एक ही बार किया गया है। ये दोन वाक्य स्पष्ट रूप से यों लिखे जायँगे—"कृष्ण गये और बलराम गये।" इसलिए यहाॅ "और" दो वाक्यों को मिलता है। "यदि सूर्य न हो तो कुछ भी न हो।" (इति०)। इस उदाहरण में "यदि" और "तो" दो वाक्यो को जोड़ते हैं।

(अ)कभी कभी कोई कोई समुच्चय बोधक वाक्य में शब्दों को भी जोड़ते हैं, जैसे, "दो और दो चार होते हैं।" यहाँ "दो चार होते हैं और दो चार होते हैं," ऐसा अर्थ नहीं हो सकता, अर्थात् "और" समुच्चय-बोधक दो संक्षिप्त वाक्यों को नहीं मिलाता, किंतु दो शब्दों को मिलाता है। तथापि ऐसा प्रयोग सब समुच्चय-बोधकों में नहीं पाया जाता; और "क्योंकि", "यदि", "तो", "यद्यपि", "तोभी", आदि कई समुच्चय-बोधक केवल वाक्यों ही को जेाड़ते हैं।

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