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अर्थ से सूचित होता है; जैसे, "इस नाटिका का अनुवाद करना मेरा काम नहीं था, क्योंकि मैं संस्कृत अच्छी नहीं जानता।" (रत्ना०)। इस उदाहरण से उत्तर वाक्य पूर्व वाक्य का कारण सूचित करता है। यदि इस वाक्य को उलटकर ऐसा कहे कि "मैं संस्कृत अच्छी नहीं जानता, इसलिए (अतः, अतएव) इस नाटिका का अनुवाद करना मेरा काम नहीं था" तो पूर्व वाक्य से कारण और उत्तर वाक्य से उसका परिणाम सूचित होता है, और इसलिए शब्द "परिणाम-बोधक" है।

[टी०—यहाँ यह प्रश्न हो सकता है कि जब "इसलिए" के समानाधिकरण समुच्चय-बोधक मानते हैं, तब "क्योंकि" को इस वर्ग में क्यों नहीं गिनते? इस विषय में वैयाकरणों का मत एक नहीं है। केाई कोई दोनों अव्यय को समानाधिकरण और केाई कोई उन्हें व्यधिकरण समुच्चय-बोधक मानते है। इसके विरुद्ध किसी किसी के मत में "इसलिए" समानाधिकरण और "क्योंकि" व्यधिकरण है। इस (पिछले) मत का स्पष्टीकरण अगले उदाहरण से होगा—"गर्म हवा ऊपर उठती है, क्योंकि वह साधारण हवी से हलकी होती है।" इस वाक्य में वक्ता का मुख्य अभिप्राय यह बात बताना है कि "गर्म हवा ऊपर उठती है," इसलिए वह दूसरी बात का उल्लेख केवल पहली बात के समर्थन में करता है। यदि इसी बात के यों कहें कि "गर्म हवा साधारण हवा से हलकी होती है, इसलिए वह ऊपर उठती है"—तो जान पडेगा कि यहाँ वक्ता का अभिप्राय दोनों बातें प्रधानता-पूर्वक बताने का है। इसके लिए वह दोनों वाक्यों के इस तरह भी कह सकता है कि "गर्म हवा साधारण हवा से हलकी होती है और वह ऊपर उठती है।" इस दृष्टि से "क्योंकि" व्यधिकरण समुच्चय-बोधक है, अर्थात् उससे आरंभ होनेवाली वाक्य आश्रित होता है और "इसलिए" समानाधिकरण समुच्चय-बोधक है—अर्थात् वह मुख्य वाक्यों को मिलता है।]

"क्योंकि" के बदले कभी कभी "कारण" शब्द आता है वह समुच्चय-बोधक का काम देता है। "काहेसे कि" समुच्चय-बोधक वाक्यांश है।