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हैं। उदा०—"हम तुम्हे वृंदावन भेजा चाहते हैं कि तुम उनका समाधान कर आओ"। (प्रेम०)। "किया क्या जाय जो देहातियों की प्राणरक्षा हो"। (स०)। "लोग अकसर अपना हक पक्का करने के लिये दस्तावेज़ो की रजिस्टरी करा लेते हैं ताकि उनके दावे में किसी प्रकार का शक न रहे"। (चौ० पु०)। "मछुआ मछली मारने के लिये हर घड़ी मिहनत करता है इसलिए कि उसको मछली का अच्छा मोल मिले।" (जोविका०)।

जब उद्देशवाचक वाक्य मुख्य वाक्य के पहले आता है तब उसके साथ कई समुच्चय-बाधक नही रहता; परंतु मुख्य वाक्य "इसलिए" से आरम्भ होता है, जैसे, "तपोवनवासियों के कार्य में विघ्न न हो, इसलिए रथ के यहीं रखिये।" (शकु०)। कभी कभी मुख्य वाक्य "इसलिए" के साथ पहले आता है और उद्देशवाचक वाक्य 'कि' से आरंभ होता है; जैसे "इस बात की चर्चा हमने इसलिए की है कि उसकी शंका दूर हो जावे"।

"जो" के बदले कभी कभी जिसमें वा जिससे आता है; जैसे, "बेग बेग चली आ जिससे सब एक-संग क्षेम-कुशल से कुटी मे पहुँचे।" (शकु०)। "यह विस्तार इसलिये किया गया है जिसमें पढ़नेवाले कालिदास का भाव अच्छी तरह समझ जायँ।" (रघु०)।

[सं०—"ताकि" को छोड़कर शेष उद्देशवाचक समुच्चयबोधक दूसरे अर्थों में भी आते है। "जो" और "कि" के अन्य अर्थों का विचार आगे होगा। कहीं कहीं "जो" और "कि" पर्यायवाचक होते है; जैसे, "बाबा से समझायकर कहो जो वे मुझे ग्वालों के संग पठाये दें।" (प्रेम०)। इस उदाहरण में "जो" के बदले "कि" उद्देशवाचक का प्रयेाग हो सकता है। "ताकि" और "कि" उर्दू शब्द हैं और "जो" हिंदी है। "इसलिए" की व्युत्पत्ति पहले लिखी जा चुकी है।(अं०—२४४-ई)।]

(इ) संकेतवाचक—जों—तो, यदि—तो, यद्यपि—तथापि (तोभी), चाहे—परंतु, कि।