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( अ ) नदियों के नाम—गंगा, यमुना, नर्मदा, ताप्ती, कृष्णा,

इत्यादि।

अप०—सोन, सिंधु, ब्रह्मपुत्र।

(आ) तिथियों के नाम—परिवा, दूज, तीज, चौथ, इत्यादि।
(इ) नक्षत्रों के नाम—अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, इत्यादि।
(ई) किराने के नाम—लौंग, इलायची, सुपारी, जावित्री, केसर,

दालचीनी, इत्यादि।

अप०—तेजपात, कपूर, इत्यादि।

(उ) भोजनों के नाम—पूरी, कचौरी, खीर, दाल, रोटी, तरकारी,

खिचड़ी, कढ़ी, इत्यादि।

अप०—भात, रायता, हलुआ, मोहनभोग, इत्यादि।

(ऋ) अनुकरण-वाचक शब्द, जैसे, झकझक, बड़बड, झझट, इत्यादि।

(३) वर्णमाला के अक्षरों में इ, ई, और ऋ को छोड़कर शेष शब्द पुल्लिंग हैं।

२६१—अब संज्ञाओं के रूप के अनुसार लिंगनिर्णय करने के कुछ नियम लिखे जाते हैं। ये नियम भी अपूर्ण हैं, परंतु बहुधा निरपवाद हैं। हिंदी में संस्कृत और उर्दू शब्द भी आते हैं, इसलिए इन भाषाओं के शब्दो को अलग अलग विचार करने में सुभीता होगा--

१—हिंदी-शब्द।
पुल्लिंग

( अ ) ऊनवाचक संज्ञाओं को छोड़ शेष आकारांत सज्ञाएँ, जैसे,

कपडा, गन्ना, पैसा, पहिया, आटा, चमडा, इत्यादि।

(आ) जिन भाववाचक संज्ञाओं के अंत में ना, आव, पन वा

पा होती है; जैसे, आना, गाना, बहाव, चढ़ाव, बड़प्पन, बुढ़ापा, इत्यादि।