यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(२२२)
(इ) कृदंत की आनांत संज्ञाएँ; जैसे, लगान, मिलान, खान पान, नहान, उठान, इत्यादि।
स्त्रीलिंग।
(अ) ईकारांत संज्ञाएँ; जैसे, नदी, चिट्ठी, रोटी, टोपी, उदासी, इत्यादि।
अप०—पानी, घी, जी, माती, दही, मही।
(आ) ऊनवाचक याकारांत संज्ञाएँ; जैसे, फुड़िया, खटिया, डिबिया, पुड़िया, ठिलिया, इत्यादि।
(इ) तकारांत संज्ञाएँ; जैसे, रात, बात, लात, छत, भीत, पत, इत्यादि।
अप०—भात, खेत, सूत, गात, दॉत, इत्यादि।
(ई) ऊकारांत सज्ञाएँ; जैसे, बालु, लु, दारू, गेरू, आफू, ब्यालू, झाडू, इत्यादि।
अप०—आँसु, अल्लू, रतालू, टेसू।
(उ) अनुस्वारांत संज्ञाएँ; जैसे, सरसों, जोखों, खड़ाऊॅ, गौं, दौं, चूँ, इत्यादि।
अप०—कोदो, गेहूँ।
(ऊ) सकारांत संज्ञाएँ जैसे—प्यास, मिठास, निँदास, रास, (लगाम), बास, सॉस, इत्यादि।
अप०—निकास, कॉस, रास (नृत्य)।
(ऋ) कृदंत की नकारांत संज्ञाएँ, जिनका उपांत्य वर्ण अकारांत हो, अथवा जिनका धातु नकारांत हो; जैसे, रहन, सूजन, जलन, उलझन, पहचान, इत्यादि।
अप०—चलन और चाल-चलन उभयलिग हैं।