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पंडित—पंडितानी नौकर—नौकरानी

[सू०—यह प्रत्यय संस्कृत का है।]

(अ) आजकल विवाहिता स्त्रियों के नामों के साथ कभी कभी पुरुर्षों के (पुल्लिंग) उपनाम लगाये जाते हैं; जैसे, श्रीमती रामेश्वरी देवी नेहरू। (हिं० को०)। कुमारी स्त्रियों के नाम के साथ उपनाम का स्त्रीलिंग रूप प्राता है, जैसे, "कुमारी सत्यवती शास्त्रिणी। (सर०)।

२७२—कभी कभी पदार्थवाचक अकारांत व आकारांत शब्दों में सूक्ष्मता के अर्थ में "ई" वा "इया" प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाते हैं, जैसे—

रस्सा—रस्सी गगरा—गगरी, गगरिया
घंटा—घटी डिब्बी—डिब्बी, डिबिया
टोकना—टोकनी फोड़ा—फुड़िया
लोटा—लुटिया लठ—लठिया

[सू०—इन संज्ञाओं को ऊनवाचक कहते हैं। (अ०—२६१—अ)।]

(क) पूर्वोक्त नियम के विरुद्ध पदार्थवाचक अकारांत वा ईकारांत

शब्दों में विनोद के लिए स्थुलता के अर्थ में 'आ' जेडकर

पुल्लिंग बनाते हैं, जैसे—
घड़ी—घड़ा डाल—डाला
गठरी—गठरा लहर—लहरा (भाषासार०)
चिट्ठी—चिट्टा गुदड़ी—गुदड़ा

२७३—कई कोई पुल्लिंग शब्द स्त्रीलिंग शब्दों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं; जैसे—

भेड़—भेड़ा बहिन—बहनोई राँड—रँडुआ
भैंस—भैंसा ननद—ननदोई जीजी—जीजा
चींटी—चींटा