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(२३१)
पंडित—पंडितानी | नौकर—नौकरानी |
[सू०—यह प्रत्यय संस्कृत का है।]
(अ) आजकल विवाहिता स्त्रियों के नामों के साथ कभी कभी पुरुर्षों के (पुल्लिंग) उपनाम लगाये जाते हैं; जैसे, श्रीमती रामेश्वरी देवी नेहरू। (हिं० को०)। कुमारी स्त्रियों के नाम के साथ उपनाम का स्त्रीलिंग रूप प्राता है, जैसे, "कुमारी सत्यवती
शास्त्रिणी। (सर०)।
२७२—कभी कभी पदार्थवाचक अकारांत व आकारांत शब्दों में सूक्ष्मता के अर्थ में "ई" वा "इया" प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाते हैं, जैसे—
रस्सा—रस्सी | गगरा—गगरी, गगरिया |
घंटा—घटी | डिब्बी—डिब्बी, डिबिया |
टोकना—टोकनी | फोड़ा—फुड़िया |
लोटा—लुटिया | लठ—लठिया |
[सू०—इन संज्ञाओं को ऊनवाचक कहते हैं। (अ०—२६१—अ)।]
(क) पूर्वोक्त नियम के विरुद्ध पदार्थवाचक अकारांत वा ईकारांत
शब्दों में विनोद के लिए स्थुलता के अर्थ में 'आ' जेडकर
पुल्लिंग बनाते हैं, जैसे—घड़ी—घड़ा | डाल—डाला |
गठरी—गठरा | लहर—लहरा (भाषासार०) |
चिट्ठी—चिट्टा | गुदड़ी—गुदड़ा |
२७३—कई कोई पुल्लिंग शब्द स्त्रीलिंग शब्दों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं; जैसे—
भेड़—भेड़ा | बहिन—बहनोई | राँड—रँडुआ |
भैंस—भैंसा | ननद—ननदोई | जीजी—जीजा |
चींटी—चींटा |