यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(२३४)
आचार्य—आचार्या (वेद-मंत्र सिखानेवाली), आचार्याणी (आचार्य की स्त्री)
क्षत्रिय—क्षत्रियी (उसकी स्त्री), क्षत्रिया, क्षत्रियाणी (उस वर्ण की स्त्री)।
२८०—केाई काई स्त्रीलिग नियम-विरुद्ध होते हैं; जैसे,—
पु० | स्त्री० |
सखि (हि०—सखा) | सखी |
पति | पत्नी, पतिपत्नी (सधवा) |
३-उर्दू-शब्द।
२८१—अधिकांश उर्दू पुल्लिंग शब्दों में हिंदी प्रत्यय लगाये जाते हैं; जैसे—
ई—शाहज़ादा-शाहज़ादी; मुर्गा—मुर्गी
नी—शेर—शेरनी;
आनी—मिहतर—मिहतरानी, मुल्ला—मुल्लानी
२८२—कई एक अरबी शब्दों में अरबी प्रत्यय "ह" जोड़ा जाता है जे हिंदी मे "आ" हो जाता है; जैसे—
वालिद—वालिदा | खालू—खाला |
मलिक—मलिका | साहब—साहबा |
मुद्दई—मुद्दइया |
(क) "खान" का स्त्रीलिग "खानम" और "बेग" का "बेगम" होता है।
२८३—कुछ अँगरेजी शब्दों में 'इन' लगाते हैं; जैसे,
मास्टर—मास्टरिन
डाक्टर—डाक्टरिन
इंस्पेक्टर—इंस्पेक्टरिन