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बीघा-बीघे घेड़ा-घोड़े कपड़ा-कपड़े

दूधवाला—दूधवाले

अप॰—(१) साला, भानजा, भतीजा, बेटा, पोता आदि शब्दों को छोड़कर शेष संबंधवाचक, उपनामवाचक, और प्रतिष्ठा-वाचक आकारांत पुल्लिंग शब्दों का रूप दोनों वचनों में एक ही, रहता है; जैसे, काका—काका, आजा—आजा, मामा—मामा, लाल—लाला, इत्यादि। और उदाहरण—बाबा, नाना, दादी, राना, पंडा (उपनाम), सुरमा, इत्यादि।

[सू॰—"बाप-दादा" शब्द का रूपांतर वैकल्पिक है; जैसे, "उनके बाप-दादे हमारे बापदादे के आगे हाथ जोड़के बातें किया करते थे।"(गुटका॰)। "बापदादे जे कर गये हैं वही करना चाहिए।" (ठेठ॰)। "जिनके बापदादा भेड़ की आवाज सुनकर डर जाते थे।" (शिव॰)। मुखिया, अगुआ और पुरखो शब्दों के भी रूप वैकल्पिक हैं।]

अप॰—(२) संस्कृत की ऋकारांत और नकारांत संज्ञाए जो हिदी में आकारांत हो जाती हैं बहुवचन मे अविकृत रहती हैं, जैसे, कर्ता, पिता, योद्धा, राजा, युवा, आत्मा, देवता, जामाता।

कई कोई लेखक "राजा" शब्द का वहुबचन "राजे" लिखते हैं, जैसे, "तीन प्रथम राजे।" (इंग्लैंड॰)। हिदी-व्याकरणों मे बहुवचन रूप "राजा" ही पाया जाता है और कुछ स्थानों को छोड़ बोल-चाल में भी सर्वत्र "राजा" ही प्रचलित है। हम यहाॅ इस शब्द के शिष्ट प्रयोग के कुछ उदाहरण देते हैं:—"सब राजा अपनी अपनी सेना ले न पहुँचे। (प्रेम॰)। "हम सुनते हैं कि राजा बहुत रानियों के प्यारे होते हैं।" (शकु॰)। "छप्पन राजा तो उसके वंश भे गद्दी पर बैठ चुके।" (इति॰)। "सिहासन के ऊपर सैकड़ों राजा बैठे हुए हैं। (रघु॰)।

"योद्धा?" शब्द का बहुवचन हिंदी-रघुवंश में एक जगह "याद्धे" आया है, जैसे, "मंत्री के बहुतसे योद्धे देकर; परंतु अन्य लेखक