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लगाने से बनता है; जैसे, साहब—साहबान, मालिक—मालिकान, काश्तकार—काश्तकारान, इत्यादि।

(अ) अत्य "ह" के बदले "ग" और "ई" के बदले "इय" हो जाता है, जैसे, बंदह-बदगान, बाशिदह-बाशिदगान, पटवारी—पटवारियान, मुत्सद्दी—मुत्सद्दियान, इत्यादि।

(२) फ़ारसी अप्राणिवाचक संज्ञाओं का बहुवचन "हा" लगा कर बनाते हैं, जैसे, बार-बारहा, कूचह-कूचहा, इत्यादि।

(३) फ़ारसी अप्राणिवाचक सज्ञाओ का बहुवचन अरबी की नकल पर बहुधा "आत" लगाकर भी बनाते हैं, जैसे, कागज़—कागज़ात, दिह (गाँव)—दिहात, इत्यादि।

(अ) अत्य "ह" के बदले "ज" हो जाता है, जैसे, परवानह- परवानजात, नामह-नामजात, इत्यादि।

(४) अरबी व्याकरण के अनुसार बहुवचन दो प्रकार का होता है—(क) नियमित (ख) अनियमित।

(क) नियमित बहुवचन शब्द के अंत मे "आत" लगाने से बनता है, जैसे, ख्याल-ख्यालात, इख्तियार—इख्तियारात, मकान- मकानात, मुकद्दमा-मुकद्दमात, इत्यादि।
(ख) अनियमित बहुवचन बनाने के लिए शब्द के आदि, मध्य और अंत में रूपांतर होता है, जैम, हुक्म-अहकाम, हाकिम-हुक्काम, कायदा-कवाइद, इत्यादि।

(५) अरबी अनियमित बहुवचन कई "वज़नों" पर बनता है—

(अ) अफ़आल, जैसे,
हुक्म-अहकाम तरफ़-अतरफ़
वक्त-औकात खबर–अखबार
हाल-अहवाल शरीफ़-अशराफ़
(अ) फुऊल, जैसे, हक-हुकूक