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(इ) फुअला; जैसे, अमीर-उमरा,
(ई) अफइला; जैसे, वली-औलिया
(उ) फुअआल; जैसे, हाकिम-हुक्काम
(ऊ) फआइल; जैसे, अजीब-अजाइब
(ऋ) फवाइल; जैसे, कायदा-कवाइद
(ए) फआलिल; जैसे, जौहर-जवाहिर
(ऐ) फआलील, जैसे, तारीख-तवारीख

(६) कभी कभी एक अरबी एकवचन के दुहरे बहुवचन बनते हैं; जैसे, जौहर—जवाहिरात, हुक्म—अहकामात, दवा—अदवियात, इत्यादि।

(७) कुछ अरबी बहुवचन शब्दों का प्रयोग हिंदी में एकवचन में होता है; जैसे, वारिदात, तहकीकात, अखबार, अशराफ, कवाइद, तवारीख (इतिहास), औलिया, औकात (स्थिति), अहवाल, इत्यादि।

(८) कई एक उर्दू आकारांत पुल्लिग शब्द, संस्कृत और हिंदी शब्दों के समान, बहुवचन में अविकृत रहते हैं, जैसे, सौदा, दरिया, मियाॅ, मौला, दारोगा, इत्यादि।

२९६—जिन मनुष्यवाचक पुल्लिंग शब्दों के रूप दोनों वचनो में एकसे होते हैं उनके बहुवचन मे बहुधा "लोग" शब्द का प्रयोग करते हैं, जैसे, "ये ऋषि लेाग आपके सम्मुख चले आते हैं।" (शकु०)। आर्य लेाग सूर्य के उपासक थे।" (इति०)। "योद्धा लोग यदि चिल्लाकर अपने अपने स्वामियों का नाम न बताते।" (रघु०)।

(अ) "लोग" शब्द मनुष्यवाचक पुल्लिंग संज्ञाओ के विकृत बहुवचन के साथ भी आता है। जैसे, "लड़के लोग," "चेले लोग," "बनिये लोग," इत्यादि।
(अ) भारते दुजी "लोग" शब्द का प्रयोग मनुष्येतर प्राणियों के नामों के साथ भी करते हैं, जैसे, "पक्षी लोग।" (सत्य०)।