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[सु॰—हिंदी में ऐकारांत पुल्लिंग और एकारांत, ऐकात तथा ओकारांत स्त्रीलिंग संज्ञाएँ नहीं है।]

(ऋ) जिन आकारांत शब्दो के अंत में अनुस्वार होता है उनके वचन और कारकों के रूप में अनुस्वार बना रहता है; जैसे, रोऑ—रोएँ, रोएँ से, रोओं में।

(ए) जाड़ा, गर्मी, बरसात, भूख, प्यास आदि कुछ शब्द विकृत कारको में बहुधा बहुवचन ही में आते हैं; जैसे, भूखों मरना, बरसातो की राते, गरमियो मे, जोड़ों मे, इत्यादि।

(ऐ) कुछ काल-वाचक संज्ञाएँ विभक्ति के विना ही बहुवचन के विकृत रूप में आती हैं; जैसे "बरसों बीत गये," "इस काम में घंटों लग गये।" (अं॰-५१२)।

३१२—अब प्रत्येक लिंग और अंत की एक एक संज्ञा की कारक-रचना के उदाहरण दिये जाते हैं। पहले उदाहरण में सब कारकों के रूप रहेगे; परंतु आगे के उदाहरणों में केवल कर्त्ता, कर्म और संबोधन के रूप दिये जायँगे। बीच के कारकों की रचना कर्म-कारक के समान उनकी विभक्तियों के योग से हो सकती है।

(क) पुल्लिंग संज्ञाएं

(१) अकारांत।

कारक एकवचन बहुवचन
कर्त्ता बालक बालक
बालक ने बालकों ने
कर्म बालक कों बालकों को
करण बालक से बालकों से
संप्रदान बालक को बालकों को
अपादान बालक से बालकों से