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व्याकरण से इनका कोई संबंध नहीं हैं, इसलिए इस पुस्तक में इनका विवेचन
न किया जायगा । इसी प्रकार कहावतें और मुहावरे भी जो बहुधा व्याकरण
की पुस्तकों में लिख दिये जाते हैं, व्याकरण के विषय नहीं हैं। केवल कविता की भाषा और काव्य-स्वतंत्रता का परोक्ष संबध व्याकरण से है,अतएव ये विषय प्रस्तुत पुस्तक के परिशिष्ट में दिये जायँगे।