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संबंध आपका-के-की आप लोगों-का-के-की

[सू॰—इसके शेष रूप विभक्तियों के योग से इसी प्रकार बनते हैं।]

३२६—निश्चयवाचक सर्वनामों के दोनों वचनों की कारक-रचना में विकृत रूप आता है। एकवचन में "यह" का विकृत रूप "इस", "वह" को "उस" और "सो" का "तिस" होता है, और बहुवचन में क्रमशः "इन", "उन" और "तिन" आते हैं। इनके विभक्ति-सहित बहुवचन कर्ता के अंत्य "न" में विकल्प से "हो" जोड़ा जाता है, और कर्म तथा संप्रदान-कारक के बहुवचन मे "एँ" के पहले "न" में "ह" मिलाया जाता है।

निकटवर्ती "यह"

कारक एक॰ बहु॰
कर्ता यह यह, ये
इसने इनने, इन्होंने
कर्म—संप्रदान इसको, इसे इनको, इन्हें
करण-अपादान इससे इसने
संबंध इसका-के-की इनका-के-की
अधिकरण इसमें इनमे

दूरवर्ती "वह"

कर्त्ता वह वह, वे
उसने उनने, उन्होंने
कर्म—संप्रदान उसको, उसे उनको, उन्हें

[सू॰—शेष कारक "यह" के अनुसार विभक्तियाँ लगाने से बनते हैं।]

नित्यसंबंधी "सो"

कारक एक॰ बहु॰
कर्त्ता सो सो
तिसने तिनने, तिन्होंने