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[सू॰—यह, वह, सो, जो, और कौन के विभक्ति-सहित कर्ता-कारक के बहुवचन में जो दो दो रूप हैं उनमें से दूसरा रूप अधिक शिष्ट समझा जाता है। जैसे, उनने और उन्होंने। कोई कोई वैयाकरण शेष कारकों में भी 'हों' जोड़कर बहुवचन का दूसरा रूप बनाते है; जैसे, इन्होंको, जिन्होंसे, इत्यादि। परंतु ये रूप प्रचलित नहीं है।

३२९—प्रश्नवाचक सर्वनाम "क्या" की कारक-रचना नहीं होती। यह शब्द इसी रूप में केवल एकवचन (विभक्ति-रहित) कर्ता और कर्म में आता है, जैसे "क्या गिरा?" "तुम क्या चाहते हो?" दुसरे कारकों के एकवचन में "क्या" के बदले व्रज-भाषा के "कहा" सर्वनाम का विकृत रूप "काहे" आता है।

प्रश्नवाचक "क्या"

कारक एक॰
कर्ता क्या
कर्म क्या
करण-अपा॰ काहे से
संप्रदान काहे को
संबंध काहे का-के-की
अधिकरण काहे मे

(अ) "काहे से" (अपादान) और "काहे को" (संप्रदान) का प्रयोग बहुधा "क्यों" के अर्थ में होता है, जैसे, "तुम यह काहेसे कहते हो?" "लड़का वहाँ काहेको गया था?" "काहे को" कभी कभी असभावना के अर्थ में आता है, जैसे, "चोर काहेको हाथ आता है!" "क्योंकि" समुच्चयबोधक में "क्यो" के बदले कभी कभी "काहेसे" का प्रयोग होता है (अं॰-२४५-अ); जैसे, "शकुंतला मुझे बहुत प्यारी है काहेसे कि वह मेरी सहेली की बेटी है।" (शकु॰)। "काहेका" का अर्थ "किस चीज़ से