पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/३१८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

( २९७ )

गया (३) मुल्क को बरबाद किया गया, इत्यादि अशुद्ध प्रयोग कलम से निकालते जरूर हिचके"।]

(इ) जनना, भूलना, खोना आदि कुछ सकर्मक क्रियाएँ बहुधा कर्मवाच्य में नहीं आतीं।

[सू॰—संयुक्त क्रियाओं के वाच्य का विचार आगे ( ४२५ वें अंक में) किया जायगा।]

३५३—हिंदी में कर्मवाच्य क्रिया का उपयोग सर्वत्र नहीं होता; वह बहुधा नीचे लिखे स्थानों में आती है—

(१) जब क्रिया का कर्त्ता अज्ञात हो अथवा उसके व्यक्त करने की आवश्यकता न हो, जैसे, "चोर पकड़ा गया है," "आज हुक्म सुनाया जायेगा," "न तु मारे जैहैं सब राजा।" (राम॰)।

(२) कानूनी भाषा और सरकारी कागज़-पत्रों में प्रभुता जताने के लिए, जैसे, "इत्तिला दी जाती है," "तुमको यह लिखा जाता है," "सख्त कार्रवाई की जायगी।"

(३) अशक्तता के अर्थ में, जैसे, "रोगी से अन्न नहीं खाया जाता," "हमसे तुम्हारी बात न सुनी जायगी।"

(४) किंचित् अभिमान में, जैसे, "यह फिर देखा जायगा।" "नौकर बुलाये गये हैं।" "आपको यह बात बताई गई है।" "उसे पेश किया गया।"

३५४—कर्मवाच्य के बदले हिंदी में बहुधा नीचे लिखी रचनाएँ आती हैं।

(१) कभी कभी सामान्य वर्तमानकाल की अन्य पुरुष बहुवचन क्रिया का उपयोग कर कर्त्ता का अध्याहार करते हैं; जैसे, ऐसा कहते हैं (= ऐसा कहा जाता है)। ऐसा सुनते हैं (= ऐसा सुना जाता है)। सूत को कातते हैं और उससे कपड़ा बनाते हैं (= सूत को काता