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संस्कृत मीडी फारसी यूनानी लैटिन अँगरेजी हिंदी
पितृ पतर पिदर पाटेर पेटर फादर पिता
मातृ मतर मादर माटेर मेटर मदर माता
भ्रातृ ब्रतर ब्रादर फ़्राटेर फ्रेटर ब्रदर भाई
दुहितृ दुग्धर दुख्तर थिगाटेर डाटर धी
एक यक यक हैन अन वन एक
द्वि, द्वौ द्व दू डुओ डुओ टू दो
तृ थृ दृ दृ थ्री तीन
नाम नाम नाम ओनोमा नामेन नेम नाम
अस्मि अह्मि अम ऐमी सम ऐम हूँ
ददामि दधामि दिहम डिडोमी डो देऊँ

इस तालिका से जान पड़ता है कि निकटवर्ती देशों की भाषाओं में अधिक समानता है और दूरवर्ती देशों की भाषाओं में अधिक भिन्नता। यह भिन्नता इस बात की भी सूचक है कि यह भेद वास्तविक नहीं है और न आदि में था, किंतु वह पीछे से हो गया है।

(३) संस्कृत और प्राकृत।

जब आर्य-लोग पहले पहल भारतवर्ष मे आये तब उनकी भाषा प्राचीन (वैदिक) संस्कृत थी। इसे देववाणी भी कहते हैं। वेदों की अधिकांश भाषा यही है। रामायण, महाभारत और कालिदास आदि के काव्य जिस परिमार्जित भाषा में हैं वह बहुत पीछे की है। अष्टाध्यायी आदि व्याकरणों में "वैदिक" और "लौकिक" नामों से दो प्रकार की भापाओं का उल्लेख पाया जाता है और दोनों के नियमों में बहुत कुछ अंतर है। इन दोनों प्रकार की भाषाओं में विशेषताएँ ये हैं कि एक तो संज्ञा के कारकों की