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(३) सामान्य संकेतार्थ

कर्त्ता—पुल्लिंग

एकवचन बहुवचन
१—मैं होता हम होते
२—तु होता तुम होते
३—वह होता वे होते

कर्त्ता—स्त्रीलिंग

१—३ होती होतीं

सू॰—"हाना" (विकार-दर्शक) के शेष रूप आगे यथास्थान दिये जायँगे।

३८८—दूसरे वर्ग के छों कर्तृवाच्य कोल वर्तमानकालिक कृदंत के साथ "होना" सहकारी क्रिया के ऊपर लिखे कालों के रूप जोड़ने से बनते हैं। स्थितिदर्शक सामान्य वर्त्तमान काल और विकार-दर्शक संभाव्य भविष्यत्-काल के छोड़ सहकारी क्रिया के शेष काल के रूप कर्त्ता के पुरुष-लिंग-वचनानुसार बदलते हैं।

(१) सामान्य संकेतार्थ वर्तमानकालिक कृदंत को कर्त्ता के पुरुष लिंग-वचनानुसार बदलने से बनता है। इसके साथ सहायक क्रिया नहीं होती, जैसे, मैं आता, वह आती, हम आते, वे आतीं, इत्यादि।

(२) सामान्य वर्तमान वर्तमानकालिक कृदंत के साथ स्थिति-दर्शक सहकारी क्रिया के सामान्य वर्तमान-काल के रूप जोड़ने से बनता है, जैसे, मैं आता हूँ, वह आती है, तुम आती हो, इत्यादि।

(अ) सामान्य वर्तमानकाल के साथ "नहीं" आने से बहुधा सहकारी क्रिया का लोप हो जाता है, जैसे, "दो भाइयों में भी परस्पर अब यहाँ पटती नहीं"। (भारत॰)।

(३) अपूर्ण भूतकाल बनाने के लिए कृदंत के साथ स्थिति-दर्शक सहकारी क्रिया के सामान्य भूतकात के रूप (था) जोड़ते