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३९८—जब अकर्मक क्रिया के आदर-सूचक विधिकाल का रूप संभाव्य भविष्यत्-काल के अर्थ में आता है तब वह भाववाच्य होता है, जैसे, "मन में आती है कि सब छोड़-छाड़ बैठे रहिए"।(शकु॰)। यह भाववाच्य क्रिया भी भावेप्रयोग में आती है।

३९९—यहाँ भाववाच्य के केवल उन्हीं रूपों के उदाहरण दिये जाते हैं जिनमें उसका प्रयोग पाया जाता है—

(अकर्मक) "चला जाना" क्रिया (भाववाच्य)
धातु …………… चला जा
सु॰–इस क्रिया से और कृदंत नहीं बनते।
(क) धातु से बने हुए काल
भावेप्रयोग
(१) संभाव्य भविष्यत्-काल
एकवचन बहुवचन
१ मुझसे वा हमसे
२ तुझसे वा तुमसे
३ उससे वा उनसे


चला जाए, जावे, जाय

(२) सामान्य भविष्यत्-काल

१ मुझसे वा हमसे
२ तुझसे वा तुमसे
३ उससे वा उनसे


चला जावेगा, जाएगा, जायगा
(ख) वर्त्तमानकालिक कृदंत से बने हुए काल
भावेप्रयोग
(१) सामान्य संकेतार्थ
१ मुझसे वा हमसे
२ तुझसे वा तुमसे
३ उससे वा उनसे


चला जाता