पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/३८०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(३५९)
होना" वा "चला जाना" होता है; जैसे, "मेरे पिता जाते रहे", "चाँदी की सारी चमक जाती रही" (गुटका॰), "नौकर घर से जाता रहेगा।"
(इ) "रहना" के सामान्य भविष्यत्-काल से अपूर्णता का बोध होता है, जैसे, जब तुम आओगे तब हम लिखते रहेंगे। इस अर्थ में कोई-कोई वैयाकरण इस संयुक्त क्रिया को अपूर्ण भविष्यत्-काल मानते हैं। ( अं॰—३५८, टी॰)।
(ई) आना, रहना और जाना से क्रमशः भूत, वर्त्तमान और भविष्य नित्यता का बोध होता है, जैसे, लड़का पढ़ता आता है, लड़का पढ़ता रहता है, लडका पढ़ता जाता है।
(उ) "चलना" क्रिया के वर्त्तमानकालिक कृदंत के साथ "होना" वा "बनना" क्रिया के सामान्य भूत-काल का रूप जोडने से पिछली क्रिया का निश्चय सूचित होता है, जैसे, वह प्रसन्न हेा चलता बना

(३) भूतकालिक कृंदत से बनी हुई।

४०८—अकर्मक क्रियाओं के भूतकालिक कृदंत के आगे "जाना" क्रिया जोड़ने से तत्परता-बोधक संयुक्त क्रिया बनती है। यह क्रिया केवल वर्त्तमानकालिक कृदंत से बने हुए काल में आती है, जैसे, लड़का आया जाता है, "मारे बू के सिर फटा जाता था" (गुटका॰), मारे चिंता के वह मरी जाती थी, मेरे रोंगटे खड़े हुए जाते हैं, इत्यादि।

(अ) "जाना" के साथ "जाना" सहकारी क्रिया नहीं आती। "चलना" के साथ "जाना" लगाने से बहुधा पिछली क्रिया का निश्चय सूचित होता है ; जैसे, वह चला गया।
(आ) कुछ पर्यायवाची क्रियाओं के साथ इसी अर्थ में "पड़ना" जोड़ते हैं, जैसे, वह गिरा पड़ता है, तू कूदी पड़ती है।