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करना

स्वीकार करना, अंगीकार करना, नाश करना, आरंभ करना, ग्रहण करना, श्रवण करना, उपार्जन करना, संपादन करना, बिदा करना, त्याग करना।

देना

दिखाई देना, सुनाई देना, पकडाई देना, छुलाई देना, बँधाई देना।

(अ) "देना" के बदले कभी-कभी "पड़ना" आता है, जैसे, शब्द सुनाई पड़ा।

सू॰—को-कोई लेखक नामबोधक क्रियाओं की संज्ञा के बदले, व्याकरण की शुद्धता के लिये, उसका विशेषण-रूप उपयोग में लाते हैं; जैसे, "सभा विसर्जन हुई" के बदले "सभा विसर्जित हुई", "स्वीकार करना" के बदले "स्वीकृत करना," इत्यादि। यह प्रयोग अभी सार्वत्रिक नहीं है और न इसके प्रचार की कोई अतिश्यकता ही दीख पड़ती है।

(८) पुनरुक्त संयुक्त क्रियाएँ।

४२२—जब दो समान अर्थवाली वा समान ध्वनिवाली क्रियाओं का संयोग होता है, तब उन्हें पुनरुक्त संयुक्त क्रियाएँ कहते हैं; जैसे, पढ़ना-लिखना, करना-धरना, समझना-बूझना, बोलना-चालना, पूछना-ताछना, खाना-पीना, होना-हवाना, मिलना-जुलना, देखना-भालना।

(अ) जो क्रिया केवल यमक (ध्वनि) मिलाने के लिये आती है वह निरर्थक रहती है, जैसे, ताछना, भालना, हवाना।
(आ) पुनरुक्त क्रिया में दोनों क्रियाओ का रूपांतर होता है; परंतु सहायक क्रिया केवल पिछली क्रिया के साथ आती है;

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