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दूसरा भाग।

शब्द-साधन।

तीसरा परिच्छेद।

व्युत्पत्ति।

पहला अध्याय।

विषयारंभ।

४२९—शब्द-साधन के तीन भाग हैं—वर्गीकरण, रूपांतर और व्युत्पत्ति। इनमे से पहले दो विषयों का विवेचन दूसरे भाग के पहले और दूसरे परिच्छेदो मे हो चुका है। इस तीसरे परिच्छेद मे व्युत्पत्ति अर्थात् शब्द-रचना का विचार किया जायेगा।

सु॰—व्युत्पत्ति-प्रकरण में केवल यौगिक शब्दों की रचना का विचार किया जाता है, रूढ शब्दों का नहीं। रूद शब्द किस भाषा के किस शब्द से बना है, यह बताना इस प्रकरण का विषय नहीं है। इस प्रकरण में केवल इस बात का स्पष्टी-करण होता है कि भाषा का प्रचलित शब्द भाषा के अन्य प्रचलित शब्द से किस प्रकार बना है। उदाहरणार्थ, "हठीला" शब्द "हठ" शब्द से बना हुआ एक विशेषण है, अर्थात् "हठीला" शब्द यौगिक है, रूढ़ नहीं है, और केवल यही व्युत्पत्ति इस प्रकरण में बताई जायगी। "हठ" शब्द किस भाषा में किस प्रकार हिंदी में आया, इस बात का विचार इस प्रकरण में न किया जायगा। "हठ" शब्द दूसरी भाषा में, जिससे वह निकला है, चाहे यौगिक भी हो, पर हिंदी में यदि उसके खंड सार्थक नहीं है तो वह रूढ़ ही माना जायगा। इसी प्रकार "रसोई-घर" शब्द में केवल यह बताया जायगा कि यह शब्द "रसोई" और "घर" शब्दों