पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/४००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

(३७९)


अव= नीचे, हीन, अभाव, जैसे, अवगत, अवगाह, अवगुण, अवतार, अवनत, अवलोकन, अवसान, अवस्था।

सू॰—प्राचीन कविता में "अव" का रूप बहुधा "औ" पाया जाता है, जैसे, औगुन, औसर।

= तक, ओर, समेत, उलटा, जैसे, आकर्षण, आकार, आकाश, आक्रमण, आगमन, आचरण, आजन्म, आवालवृद्ध, आरंभ, इत्यादि।

उत्—द्= ऊपर, ऊँचा, श्रेष्ठ, जैसे, उत्कर्ष, उत्कठा, उत्तम, उद्यम, उद्देश्य, उन्नति, उत्पन्न, उल्लेख।

उप—निकट, सदृश, गौण, जैसे, उपकार, उपदेश, उपनाम, उपनेत्र, उपभेद, उपयोग, उपवन, उपवेद।

दुर्, दुस्—बुरा, कठिन, दुष्ट, जैसे, दुराचार, दुर्गुण, दुर्गम, दुर्जन, दुर्दशा, दुर्दिन, दुर्बल, दुर्लभ, दुष्कर्म, दुष्प्राप्य, दुःसह।

नि—भीतर, नीचे, बाहर, जैसे, निकृष्ट, निदर्शन, निदान, निपात, निवध, नियुक्त, निवास, निरूपण।

निर, निस्—बाहर, निषेध, जैसे, निराकरण, निर्गम, नि शक, निरपराध, निर्भय, निर्वाह, निश्चल, निर्दोष, नीरोग (हिं॰—निरोगी)।

सू॰—हिंदी में यह उपसर्ग बहुधा "नि" हो जाता है, जैसे, निधन, निबल, निडर, इत्यादि।

परा—पीछे, उलटा, जैसे, पराक्रम, पराजय, पराभव, परामर्श, परावर्त्तन, इत्यादि।

परि—आसपास, चारों ओर, पूर्ण, जैसे, परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिधि, परिपूर्ण, परिमाण, परिवर्त्तन, परिणय, पर्याप्त।

प्र—अधिक, आगे, ऊपर, जैसे, प्रकाश, प्रख्यात, प्रचार, प्रबल, प्रभु, प्रयोग, प्रसार, प्रस्थान, प्रलय।