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अमा---पास, उदा०--अमात्य, अमावास्या ।

अलम्-सुंदर, उदा०—अलंकार, अलंकृत, अलकृति । यह अव्यय बहुधा कृ ( करना ) धातु के पूर्व आता है ।

आविर --प्रकट, बाहर, उदा०—आविर्भाव , आविष्कार ।।

इति—ऐसा, यह, उदा०--इतिवृत्त, इतिहास, इतिकर्तव्यता ।

सू०---“इति” शब्द हिदी में बहुधा इसी अर्थ में स्वत ने शव्द के समान भी आता है ( अ---२२७ ) ।

कु ( का, कद )—बुरा, उदा०—कुकर्म, कुरूप, कुशकुन, कापुरुष, कदाचार ।।

हि०--कुचाल, कुठौर, कुडत, कुढगा, कपूत ।

चिर---बहुत , उदा०---चिरकाल, चिर जीव, चिरायु ।

तिरस्तु च्छ, उदा०—तिरस्कार, तिरोहित ।

ने--अभाव; उदा०—नक्षत्र, नग, नपुसक, नास्तिक ।

नाना--बहुत , उदा०—नानारूप, नानाजाति ।

सु०-हिंदी में 'नाना' बहुधा स्वतंत्र शब्द के समान प्रयुक्त होता है, जैसे, "लागे विटप मनेाहर नाना ( म० )।

पुरस ---सामने, गे, जैसे, पुरस्कार, पुरश्चरण, पुरोहित ।

पुरा--पहले जैसे पुरातत्व, पुरातन, पुरावृत्त ।

पुनर्-फिर, जैसे, पुनर्जन्म, पुनर्विवाह, पुनरुक्त ।

प्राक्-पहले की, जैसे प्राकथन, प्राक्कर्म, प्राक्तन ।

तर --सवेरे, जैसे, प्रात काल, प्रातःस्नान, प्रात:स्मरण ।

प्रादुर् --प्रकट ; जैसे प्रादुर्भाव ।

वहिर-बाहर जैसे, वहिद्वार , वहिष्कार ।

स–सहित; जैसे, सगोत्र, सजातीय, सजीव, सरस, सावधान, सफल ( हि -सुफल )।