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गैर ( अ-गैर )= भिन्न, विरुद्ध, उदा०-गैरमनकूला, गैर- मुल्क, गैरवाजिद, गैरसरकारी ।

स०-“वगैरह” शब्द में “व' ( २ ) समुच्चय-बोधक है और • गैरह “गैर” का बहुवचन है। इस शब्द का अर्थ है और दूसरे ।”

दर = में; उदा०-दरअसल, दरकार, दरखास्त, दर इकीकत ।

ना--प्रभाव ( सं०--न ); उदा०---नाउम्मेद, नादान, नाप- सन्द, नाराज, नालायक, नासाज ।

| फी ( अ )-में, पर, जैसे, फिलहाल (फी + अ + हाल) = | हाल में, फी प्रदसी ।

च = र, मे, अनुसार ; उदा०-----वनाम, च-इजलाम, बदस्तूर. बदौलत ।।

बद्= बुरा; उदा०----अकार, बदकिस्मत, बदनाम, बदफैल, बदबू, बदमाश, बराह ( स० ), बदहजमी, इत्यादि ।

बर= ऊपर; उदा०-बरखास्त, बरदाश्त, बरतरफ, बरवक्त, बराबर ।

बा = साथ, उदा०----बाजाबता, बाकायदा, बातमीज ।

बिल्य १ अ० )= साथ ; उदा०—बिलकुल, बिलमुकता ।

बिला ( अ० )= बिना ; उदा०—बिलाकुसर, बिलाशक ।

बे= बिना , उदा०----बेईमान, बेचारा (हिं०-बिचारा ), बेतरह, बेवकूफ, बेरहम ।।

स०-यह उपसर्ग बहुधा हिंदी-शब्दों में भी लगाया जाता है जैसे, बेकाम, बेचैन, बेजोड़, बेमन, बेडौल, बेसुर । “वाहियात' और “फुजूल” शब्दों के साथ यह उपसर्ग भूल से जोड़ दिया जाता है; जैसे, बे-वाहियात बेरुजुल ।