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मत् ( गुणवाचक )

श्रीमान् मतिमान् बुद्धिमान्
आयुष्मान् गोमती(स्त्री॰)
धीमान्। 'बुद्धिवान्' शब्द अशुद्ध है।

[सू॰—मत् (मान्) के सदृश वत् (वान्) प्रत्यय है जो आगे लिखा जायगा।]

भय (विकार और व्याप्ति के अर्थ में)—

काष्ठमय, विष्णुभय, जलमय, मांसमय, तेजोमय।

मात्र—नाममात्र, पलमात्र, लेशमात्र, क्षणमात्र ।

सिन्—(कर्तृवाचक)—

स्व—स्वामी, वाक-वाग्मी (वक्ता)।

—(भाववाचक)—

मधुर—माधुर्य चतुर—चातुर्य पडित—पांडित्य
वणिज—वाणिज्य स्वस्थ—स्वास्थ्य अधिपति—आधिपत्य
धीर—धैर्य वीर—वीर्य।

(अपत्यवाचक, संबधवाचक)—

शंडल—शाडिल्य पुलस्ति—पौलस्त्य दिति—दैत्य

जमदग्नि—जामदग्न्य चतुर्मास—चातुर्मास्य (हि॰ चौमासा)

धन—धान्य मूल—मूल्य तालु—तालव्य
मुख—मुख्य ग्राम—ग्राम्य अंत—अंत्य

—(गुणवाचक)—

मधु—मधुर मुख—मुखर कुंज—कुंजर
नग—नगर पांडु—पांडुर

(गुणवाचक)—

वत्स—वत्सल शीत—शीतल श्याम—श्यामल
मंजु—मंजुल मांस—मांसल