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झगड़ना—झगड़ा | छापना—छापा | रगड़ना—रगड़ा |
झटकना—झटका | उतारना—उतारा | तोड़ना—तोड़ा |
(अ) इस प्रत्यय के लगने के पूर्व किसी-किसी धातु के उपांत्य स्वर में गुण होता है; जैसे,
मिलना—मेला | टूटना—टोटा | झुकना—झोंका |
(आ) समास में इस प्रत्यय के योग से कई एक कर्तृवाचक संज्ञाएँ बनती हैं, जैसे,
(घुड—) चढ़ा | (अँग—) रखा | (भड़—) भूँजा |
(कठ—) फोड़ा | (गँठ—) कटा | (मन—) चला |
(मिठ—) बोला | ले—लेवा | दे—देवा |
(इ) भूतकालिक कृदंत इसी प्रत्यय के योग से बनाये जाते हैं, जैसे,
मरना—मरा | धोना—धोया | खीचना—खींचा |
पड़ना—पड़ा | बनाना—बनाया | बैठना—बैठा |
(ई) कोई-कोई करणवाचक संज्ञाएँ, जैसे,
झुलना—झूला | ठेलना—ठेला | फाँसना—फाँसा | झारना—झारा | पोतना—पोता | घेरना—घेरा |
आई—इस प्रत्यय से भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं जिनसे (१) क्रिया के व्यापार और (२) क्रिया के दामों का बेाध होता है।
(१) लड़ना—लड़ाई | समाना—समाई | चढना—चढ़ाई |
दिखना—दिखाई | सुनना—सुनाई | पढ़ना—पढ़ाई |
खुदना—खुदाई | जुतना—जुताई | |
(२) लिखाना—लिखाई | पिसाना—पिसाई | |
चराना—चराई | कमाना—कमाई | |
खिलाना—खिलाई | धुलाना—धुलाई |
बनवाना—बनवाई।