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समान तीनों कालो में होता है। ये अव्यय संयुक्त क्रियाओं में भी आते हैं जिनका विचार यथा-स्थान हो चुका है।

उदा॰—देखे, पाये, लिये, समेटे, निकाले। एरा (कर्तृवाचक)—

कमाना—कमेरा लूटना—लुटेरा
(भाववाचक)—निबटाना—निबटेरा बसना—बसेरा

ऐया (कर्तृवाचक)—

काटना—कटैया बचाना—बचैया
परोसना—परोसैया भरना—भरैया

[सू॰—इस प्रत्यय का प्रचार प्राचीन हिंदी में अधिक है। आधुनिक हिंदी में इसके बदले 'वैया' प्रत्यय आता है जो यथास्थान लिखा जायगा।] ऐत (कर्तृवाचक)—

लड़ना—लड़ैत चढ़ना—चढ़ैत फेंकना—फिकैत

ओड़ा (कर्तृवाचक)—

भागना—भगोडा हँसना—हँसोड़ा (हँसोड)

चाटना—चटोरा

औता, औती (भाववाचक)—

समझाना—समझौता मनाना—मनौती
छुड़ाना—छुड़ौती चुकाना—चुकौता, चुकौती

कसना—कसौटी

चुनना—चुनौती (प्रेरणा॰)

औना, औनी, अवनी (विविध अर्थ में)—

खेलना—खिलौना बिछानी—बिछौना
ओढ़ना—उढ़ौना पहराना—पहरौन (पहरावनी)
छाना—छावनी ठहरना—ठहरौनी,
कहना—कहानी (आँख) मीचना—(आँख) मिचौनी