यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(४१३)
की (विविध अर्थ में)—फिरना—फिरकी, फूटना—फुटकी, डूबना—डुबकी।
गी (भाववाचक)—देना—देनगी । कर्त्ता त (भाववाचक)—
बचना—बचत | खपना—खपत |
पड़ना—पड़त | रँगना—रँगत |
ता—इस प्रत्यय के द्वारा सब धातुओं से वर्त्तमानकालिक कृदंत बनते हैं जिनका प्रयोग विशेषण के समान होता है और जिनमें विशेष्य के लिंग-वचन के अनुसार विकार होता है। कालरचना में इस कृदंत का बहुत उपयोग होता है। उदा॰—जाता, आता, देखता, इत्यादि।
ती (भाववाचक)—
बढ़ना—बढ़ती | घटना—घटती | चढ़ना—चढ़ती |
भरना—भरती | चुकना—चुकती | गिनना—गिनती |
झड़ना—झड़ती | पाना—पावती | फबना—फबती |
ते—इस प्रत्यय के द्वारा सच धातुओ से अपूर्ण क्रिया-द्योतक कृदंत बनाये जाते हैं जिनको प्रयोग क्रिया-विशेषण के समान होता है। इमसे बहुधा मुख्य क्रिया के समय होनेवाली घटना का बोध होता है। कभी कभी इससे लगातार का अर्थ भी निकलता है; जैसे, मुझे आपका खोजते कई घंटे हो गये। उनको यहाॅ रहते तीन बरस हो चुके।
न (भाववाचक)—
चलना—चलन | कहना—कहन |
मुस्क्याना—मुस्क्यान | लेना—देना—लेनदेन |
खाना-पीना—खानपान | व्याना—व्याना |
सीना—सिवन, सीवन |